आजकल जिधर देखो सिक्वेल की भरमार है। सिक्वेल तो पहले भी आते रहे, लेकिन अधिक चर्चा में कुछेक दिन से ही आए हैं। सिक्वेल का हाल यह है कि किसी ने तीसरे चरण में जाकर मारखाई तो किसी की शुरुआत ही खराब हो गई। उसके बाद सिक्वेल का ख्वाब ही दिल से निकाल दिया।
आजकल डॉन-2 बड़ी चर्चा में है। शायद इस बार डॉन का स्टेंडर्ड बढ़ गया है। हो सकता है इस बार पूरी दुनिया की पुलिस उसकी खबर कर रही हो। 14 अप्रैल 1978 को रिलीज हुई अमिताभ बच्चन की डॉन का जादू आज भी बरकरार है कि शाहरुख खान की दोनों डॉन हिट हो गई। फिल्मों की सफलता ने उसे कम से कम सफल डॉन तो बना ही दिया। धूम-2, मर्डर-2 जैसे सिक्वेल भी सफल हो गए।
सिक्वेल की सफलता के दौर में अन्ना अनशन का सिक्वेल फेल हो गया। खेल में तालियां बजें, किलकारियां लगे, थोड़ा हला हो तो खेलने वचालों का हौशला बढ़ता है। जब कोई ताली बजाने वाला न हो तो खेलने का क्या औचित्य? कोई तारीफ करने वाला नहीं हो तो संवरने का क्या फायदा?
मूल अनशन और उसका पहला सिक्वेल तो बहद सफल रहा, लेकिन दूसरा सिक्वेल गच्चा खा गया। अप्रैल में अन्ना का अनशन शुरू हुआ तो देश ने हाथों-हाथ लिया। सरकार के हाथ-पांव फूल गए। नौ अप्रैल को अनशन तुड़वाया।
एक बार शतक लग जाए तो बार-बार बैटिंग करने को दिल चाहता है। नेताओं ने तो न सुधरने की कमस खाई हुई थी। नतीजन बाबा रामदेव ने भी योग क्रियाएं तेज कर दीं। पांच जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आ डटे। बाबा का शो अन्ना के अनशनल से भी हिट जा रहा था। रात को अचानक बादल गरजे और रामलीला मैदान में बिजली गिर गई। बिजली तो स्वभाव से ही चपला होती है और ऐसे ही उसको गिराने वाले। अपनी गलती कहां मानने वाले थे। मीन-मेख निकालते हुए बाबा रामदेव कोक कटघरे में ला खड़ा किया। इस देश में सच बोलना भी तो गुनाह है? शायद यही बात बाबा को समझ नहीं आई।
जब कोई हलचल नहीं हुई तो टीम अन्ना ने 20 अगस्त 2011 को दिल्ली के उसी रामलीला मैदान में अन्ना अनशन-2 रिलीज कर दिया। साठ साल से सोए कुंभकर्ण जागने लगे। शो देखने और दिखाने वाले पहली रामलीला से सबक ले चुके थे। भीड़ इतनी उमड़ी कि इस बार न बिजली में गिरने की हिम्मत हुई और न ही गिराने वालों की। अन्ना अनशन का सिक्वेल सुपर-डुपर हिट हो गया। बिजली गिराने वाले चिंचौरियां करते हुए शो खत्म कराने में जुट गए। बेशर्म तो नहीं सोचता, अंत में ईज्जतदार को ही सोचना पड़ता है। खैर, 28 अगस्त 2011 को शो समाप्त हो गया।
लाज की उम्मीद उस इन्सान से की जाती है जिसे कुछ शर्म बची हो। फरहान अख्तर के डॉन-2 बनाने की चर्चा होने लगी। सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि अन्ना टीम को 27 दिसंबर को तीन दिन के लिए अन्ना अनशन-3 रिलीज करना पड़ा। डॉन-2 ऊपर और अनशन-3 नीचे। अन्ना को शो निर्धारित समय सीमा से एक दिन पहले ही खत्म करना पड़ा। लोग दिल बहलाने के लिए डॉन-2 देखने वाली भीड़ का हिस्सा तो बनी, लेकिन देश को भूल गए। अनशन-3 समाप्त हुआ तो अगले ही दिन सरकार ने अपनी असलियत दिखा दी। जिसके खून में बेवफाई हो उसे वफा कहां से आती? लोकपाल बिल अटक गया।
लहरों से उरकर कभी नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर सिक्वेल न निकलते तो शायद लोकपाल बिल आज भी उसी जगह पड़ा होता जहां सालों से पड़ा था। फ्लॉप शो पर ना तुम निराश हो बाबा और ना तुम अन्ना। मौसम सदा एक जैसा नहीं रहता। हर शो फ्लॉप नहीं होता। दोनों मिलकर शो करो। इस बार सफलता की गारंटी पक्की। अब तक सब चलता था क्योंकि हम चलने देते थे? लेकिन अब नहीं चलेगा क्योंकि हम नहीं चलने देंगे।
आजकल डॉन-2 बड़ी चर्चा में है। शायद इस बार डॉन का स्टेंडर्ड बढ़ गया है। हो सकता है इस बार पूरी दुनिया की पुलिस उसकी खबर कर रही हो। 14 अप्रैल 1978 को रिलीज हुई अमिताभ बच्चन की डॉन का जादू आज भी बरकरार है कि शाहरुख खान की दोनों डॉन हिट हो गई। फिल्मों की सफलता ने उसे कम से कम सफल डॉन तो बना ही दिया। धूम-2, मर्डर-2 जैसे सिक्वेल भी सफल हो गए।
सिक्वेल की सफलता के दौर में अन्ना अनशन का सिक्वेल फेल हो गया। खेल में तालियां बजें, किलकारियां लगे, थोड़ा हला हो तो खेलने वचालों का हौशला बढ़ता है। जब कोई ताली बजाने वाला न हो तो खेलने का क्या औचित्य? कोई तारीफ करने वाला नहीं हो तो संवरने का क्या फायदा?
मूल अनशन और उसका पहला सिक्वेल तो बहद सफल रहा, लेकिन दूसरा सिक्वेल गच्चा खा गया। अप्रैल में अन्ना का अनशन शुरू हुआ तो देश ने हाथों-हाथ लिया। सरकार के हाथ-पांव फूल गए। नौ अप्रैल को अनशन तुड़वाया।
एक बार शतक लग जाए तो बार-बार बैटिंग करने को दिल चाहता है। नेताओं ने तो न सुधरने की कमस खाई हुई थी। नतीजन बाबा रामदेव ने भी योग क्रियाएं तेज कर दीं। पांच जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आ डटे। बाबा का शो अन्ना के अनशनल से भी हिट जा रहा था। रात को अचानक बादल गरजे और रामलीला मैदान में बिजली गिर गई। बिजली तो स्वभाव से ही चपला होती है और ऐसे ही उसको गिराने वाले। अपनी गलती कहां मानने वाले थे। मीन-मेख निकालते हुए बाबा रामदेव कोक कटघरे में ला खड़ा किया। इस देश में सच बोलना भी तो गुनाह है? शायद यही बात बाबा को समझ नहीं आई।
जब कोई हलचल नहीं हुई तो टीम अन्ना ने 20 अगस्त 2011 को दिल्ली के उसी रामलीला मैदान में अन्ना अनशन-2 रिलीज कर दिया। साठ साल से सोए कुंभकर्ण जागने लगे। शो देखने और दिखाने वाले पहली रामलीला से सबक ले चुके थे। भीड़ इतनी उमड़ी कि इस बार न बिजली में गिरने की हिम्मत हुई और न ही गिराने वालों की। अन्ना अनशन का सिक्वेल सुपर-डुपर हिट हो गया। बिजली गिराने वाले चिंचौरियां करते हुए शो खत्म कराने में जुट गए। बेशर्म तो नहीं सोचता, अंत में ईज्जतदार को ही सोचना पड़ता है। खैर, 28 अगस्त 2011 को शो समाप्त हो गया।
लाज की उम्मीद उस इन्सान से की जाती है जिसे कुछ शर्म बची हो। फरहान अख्तर के डॉन-2 बनाने की चर्चा होने लगी। सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि अन्ना टीम को 27 दिसंबर को तीन दिन के लिए अन्ना अनशन-3 रिलीज करना पड़ा। डॉन-2 ऊपर और अनशन-3 नीचे। अन्ना को शो निर्धारित समय सीमा से एक दिन पहले ही खत्म करना पड़ा। लोग दिल बहलाने के लिए डॉन-2 देखने वाली भीड़ का हिस्सा तो बनी, लेकिन देश को भूल गए। अनशन-3 समाप्त हुआ तो अगले ही दिन सरकार ने अपनी असलियत दिखा दी। जिसके खून में बेवफाई हो उसे वफा कहां से आती? लोकपाल बिल अटक गया।
लहरों से उरकर कभी नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर सिक्वेल न निकलते तो शायद लोकपाल बिल आज भी उसी जगह पड़ा होता जहां सालों से पड़ा था। फ्लॉप शो पर ना तुम निराश हो बाबा और ना तुम अन्ना। मौसम सदा एक जैसा नहीं रहता। हर शो फ्लॉप नहीं होता। दोनों मिलकर शो करो। इस बार सफलता की गारंटी पक्की। अब तक सब चलता था क्योंकि हम चलने देते थे? लेकिन अब नहीं चलेगा क्योंकि हम नहीं चलने देंगे।
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